मूलभूत भाषा और साक्षरता समझ क्या है आओ जाने

मूल भूत साक्षरता और संख्या ज्ञान कार्यान्वयन संबंधी दिशा-निर्देश तदनुसार निम्नलिखित मुख्य पहलुओं पर ध्यान देते हैं:

मूलभूत भाषा और साक्षरता समझः

पठन, लेखन और संख्यात्मक आधारभूत गणन कार्यों को करने की क्षमता भावी स्कूली शिक्षा एवं जीवनपर्यंत शिक्षण के लिए आवश्यक नींव और अपरिहार्य पूर्व पक्षा है। भाषा का पूर्व ज्ञान भाषा में साक्षरता कौशल के निर्माण में सहायता करता है।जिन यच्चों की अपनी गृहभाषा में मजबूत पकड़ होती है वे अंग्रेजी / द्वितीय भाषा को और अधिक सरलता से सीख सकते हैं। इसके अलावा, मूलभूत साक्षरता कौशलों को स्कूल में पोषित किया जाता है और अधिकतर यह उस भाषा के प्रति अध्याप को की समझ एवं दृष्टिकोण पर निर्भर करता है जिस भाषा को बच्चे स्कूल में लेकर आते हैं अर्थात्जोउन की गृहभाषा होती है।मूलभूत भाषा और साक्षरता के मुख्य घटक निम्नानुसार है:

  • मौखिक भाषा विकासः पठन एवं लेखन में कौशल विकास के लिए मौखिक भाषा अनुभव महत्वपूर्ण है।
  • पठनबोधः यह क्षेत्र पाठ- बोध क्षमता और उस से जानकारी प्राप्त करने के साथ -साथ पाठ की व्याख्या को कवर करता है।
  • चित्रकारी की अवधारणा बच्चों को कौशल बोध विकास के लिए भिन्न- भिन्न प्रकार की चित्रकारी को देखने के अवसर देने की जरूरत है।
  • लेखन: इस क्षेत्र में अक्षर और शब्द लेखन दक्षता के साथ -साथ अभिव्यक्ति लेखन शामिल है।
  • स्मरणशक्तिः इस क्षेत्र में मौखिक स्मरण, लेखन / पठन स्मरण और शब्दों का रूपात्मक विश्लेषण दक्षता शामिल है।
  • ध्वनिबोधः इस क्षेत्र में शब्द बोध, लय बोध और शब्दों में निहित ध्वनि बोध, जो भाषा के साथ उन के अर्थ पूर्ण • संबंध से उत्पन्न होती है, शामिल हैं।
  • डिकोडिंग : इस क्षेत्र में चित्र- बोध, अक्षर ज्ञान और डिकोडिंग तथा शब्द पहचान शामिल है।
  • निर्बाधपठनः यह सटीकता. गति (स्वामित्वलय) अभिव्यक्ति (छंदमय) और बोध से संबंध रखता है जो बच्चों को पाठ से अर्थजान ने के अवसर देता है।
  • पठन / पठन के प्रति झुकाव की आदतः इस में भिन्न-भिन्न पुस्तकों और अन्य पठन सामग्रियों से जुड़ने की प्रेरणा शामिल हैं।
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मूलभूत संख्या ज्ञान और गणित कौशलः

मूल भूत साक्षरता का अर्थ तर्क योग्यता और साधारण गणितीय सिद्धांतों का दैनिक जीवन की समस्याओं को सुलझाने में प्रयोग से है।संख्याओं के साथ गणितीय कार्य और स्थानिक समझ किसी भी बातचीत और दैनिक जीवन के कार्यों का अभिन्न अंग है।प्रारंभिक गणित के मुख्य पहलु और घटक निम्नलिखित है:

प्रारंभिक गिनती अवधारणाः संख्या क्रम को गिनना और समझना

संख्या और संख्या संबंधी गणितीय कार्य : गणितीय विधि में दक्षता के लिए जरूरी परंपरा को सीखना जैसे अंकों को दर्शाने के लिए मूल दशांक प्रणाली का उपयोग करना

आकार और स्थानिक समझः अपने ढंग से तीन अंकों का साधारण घटा -जोड़, भाग-गुणा (गणना) और इन का विभिन्न संदर्भों में अपने जीवन कार्यों में प्रयोग करना

मापन: तीन अंकों तक जमा घटा, गुणा और भाग करने के लिए मानक गणितीय पद्धति की समझ और उसका प्रयोग

पद्धति :अंतरिक्ष और स्थानिक वस्तुओं के प्रति अपनी समझ को बढ़ाने के लिए संबंध पर कशब्दावली सीखना

डाटा का रख रखाव: संख्याओं में पुनः आवर्तित आकार से लेकर पैटर्न तक साधारण पैटर्न को समझना और उसका विस्तार करना

गणिती यसंप्रेषणः अपने दैनिक जीवन के कार्यकलापों में साधारण डाटा / जानकारी को इकट्ठा करना, प्रस्तुत करना और उसकी व्याख्या करना

क्षमता आधारित अधिगम परिणामों की दिशा में बढ़ना :

जब विभिन्न पृष्ठ भूमियों के बच्चे, जिनकी भिन्न- भिन्न शिक्षण आवश्यकताएं हैं, औपचारिक शिक्षण में प्रवेश करते हैं तो सभी छात्रों से उम्मीद होती है कि वे (पढ़ाए) कवर किए जाने वाले और समय- सीमित अधिगम प्रणाली में परीक्षा लिए जाने वाले ग्रेडस्तरीय कंटेंट्स के लिए तैयार हो।क्षमता आधारित शिक्षण छात्र अधिगम परिणामों पर केंद्रित है, और इसकी निम्नलिखित विशेषताएं हैं:

  • बच्चों को मौजूदा स्तर में योग्यता हासिल करने पर ही अगली कक्षा में भेजा जाए, नाकि आयु को देखकर।
  • स्पष्ट और मापनीय अधिगम परिणामों को परिभाषित किया गया है जो क्षमता अर्जन का मार्ग है।
  • प्राथमिक रूप से रचनात्मक मूल्यांकन का प्रयोग किया जाता है और कौशल या अवधारणा को बहु आयामी संदर्भों में मूल्यांकित किया जाता है ताकि बच्चों द्वारा गहरी समझ और अनुप्रयोग दोनों को अर्जित किया जा सके।

एनईपी 2020 में बच्चे के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है। विकास के विभिन्न क्षेत्र है जैसे शारीरिक और अंग संचालन विकास, सामाजिक भावनात्मक विकास, साक्षरता और संख्यात्मक विकास, संज्ञानात्मक विकास, आध्यात्मिक और नैतिक विकास, कला और सौंदर्य विकास जो परस्पर संबंधित और परस्पर आश्रित हैं। इन सभी डोमेनों को तीन प्रमुख लक्ष्यों में रखा गया है:

  • विकासात्मक लक्ष्य 1: बच्चे अच्छा स्वास्थ्य और स्वच्छता बनाए रखें
  • विकासलक्ष्य 2: बच्चों का सम्प्रेषण प्रभावी हो
  • विकासात्मक लक्ष्य 3: बच्चेकामसेजुड़ेरहनेवालेशिक्षार्थीबनेऔरअपनेनिकटतमपरिवेशसेजुड़ेरहे।

इस के अलावा, प्रत्येक लक्ष्य की प्रमुख दक्षताओं और अवधारणा ओं को मुख्य रूप से दर्शाया गयाहै और इन दक्षता ओं को एनसीईआरटी द्वारा विकसित दस्तावे जों प्री-स्कूल पाठ्यचर्या और अधिगम परिणाम से तैयार किया गया है ।इसी तरह, एनईपी 2020 में यथा परिकल्पित गणितीय सोच, डिजाइन शिक्षण आदि के परिप्रेक्ष्य का ध्यान रखा गया है।

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