Aamer ke Kachwaho ka Itihas

 राजा भारमल (1547-1573 ई.)



  • राजपूताने के पहले शासक जिन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार कर उससे वैवाहिक संबंध स्थापित किये। 
  • राजा भारमल ने 1562 ई. में मुगल सम्राट अकबर की अजमेर यात्रा के दौरान अफवर की अधीनता स्वीकार कर उससे अपनी पुत्री को शादी को जो बेगम मरियम उज्जमानी के नाम से जानी गई सलीम (जहाँगीर) इन्हीं के पुत्र थे।
  • राजा मानसिंह प्रथम (1589-1614) पिता भगवन्तदास जन्म 2 दिसम्बर 1550 को मौजमाबाद में। 
  • अकबर के सर्वाधिक विश्वासपात्र सेनानायक। 15 दिसम्बर, 1589 को आमेर के शासक बने।
  • हल्दीघाटी के युद्ध में शाही सेना का नेतृत्व किया तथा विजयी रहे। 
  • राजा मानसिंह ने 1592 ई. में आमेर के महलों का निर्माण करवाया। 
  • देहान्त: 1614 ई. में अहमदनगर अभियान के दौरान एलिचपुर (इलचीपुर) में अंतिम समय में इनके संबंध सम्राट जहाँगीर से अच्छे नहीं रहे।




मिज राजा जयसिंह (1621-1667 ई.)



  • शाहजहाँ ने इन्हें 1638 ई. में ‘मिर्जा राजा’ की पदयों से सम्मानित किया।
  • इन्होंने तीन मुगल बादशाहों- जहाँगीर, शाहजहाँ व औरंगजेब के साथ कार्य किया • बिहारी व रामकवि इनके आश्रित कवि थे। विहारी ने ‘बिहारी सतसई’ तथा रामकवि ने ‘जयसिंह-चरित्र’ की रचना
  • इन्हीं के समय में को पुरन्दर की संधि: 11 जून, 1665 को पुरन्दर में शिवाजी व मिर्जा राजा जयसिंह के मध्य हुई संधि जिसके द्वारा शिवाजों औरंगजेय की अधीनता स्वीकार की।
  • इन्होंने जयगढ़ दुर्ग का पुनर्निर्माण करवाया जो उत्तर मुगल कालीन राजपूत-मुगल शैली का प्रतीक है। सवाई जयसिंह द्वितीय (1700-1743 ई.):
  • सवाई जयसिंह ने 1727 ई. में वास्तुविद् पं. विद्याधर भट्टाचार्य (बंगाल निवासी) की देखरेख में जयनगर (वर्तमान जयपुर) को स्थापना करवाई।
  • सवाई जयसिंह ने नक्षत्रों की शुद्ध सारणी ‘जीज मुहम्मदशाही’ यनवाई और ‘जयसिंह कारिका’ नामक ज्योतिष ग्रंथ की रचना को 
  • सवाई जयसिंह ने जयपुर में एक बड़ी वेधशाला ‘जन्तर-मन्तर’ का निर्माण करवाया तथा ऐसी ही चार और वेधशालाएँ दिल्ली, उज्जैन, बनारस और मथुरा में बनवाई।उन्होंने जयपुर के चन्द्रमहल (सिटी पैलेस) व जलमहल का निर्माण करवाया।
  • सवाई जयसिंह 1740 ई. में जयपुर में अश्वमेघ यज्ञ सम्पन्न कराने वाले अंतिम हिन्दू नरेश थे। इनकी सबसे बड़ी भूल बूँदों के उत्तराधिकार के झगड़े में पड़कर मराठों को राजस्थान में आमंत्रित करना था।




सवाई ईश्वरीसिंह (1743-1750 ई.)



  • राजमहल (टॉक) का युद्ध मार्च, 1747 ई. में राजमहल (टोंक) नामक स्थान पर ईश्वरी सिंह का उनके भाई माधोसिंह 1 सेना व कोटा- यदी को संयुक्त सेना से हुआ युद्ध जिसमें ईश्वरीसिंह विजयी रहे।
  • ईसरलाट (सरगासली): राजमहल (टॉक) के युद्ध में विजय के उपलक्ष्य में सवाई ईश्वरी सिंह द्वारा जयपुर में (त्रिपोलिया में) बनवाई गई एक ऊंची मीनार सवाई ईश्वरीसिंह ने मराठों से तंग आकर आत्महत्या कर ली।


सवाई माधोसिंह प्रथम (1750-1768 ई.)



  • 1763 ई. सवाई माधोसिंह ने रणथम्भौर दुर्ग के पास सवाई माधोपुर नगर बसाया। • इन्होंने जयपुर में मोती हूंगरी पर महलों का निर्माण कराया।


सवाई प्रतापसिंह ( 1778-1803 ई.)



  • ये ‘बजनिधि’ नाम से काव्य रचना करते थे। 1799 ई. में हवामहल का निर्माण। इनमें जयपुर में संगीत सम्मेलन करवाकर ‘राधागोविन्द संगीत सार’ की रचना करवाई जिसमें देवर्षि बृजपाल भट्ट का बहुत योगदान .


सवाई जगतसिंह द्वितीय ( 1803-1818 ई.) 



  • सवाई प्रतापसिंह के पुत्र जिन्होंने सन् 1818 में मराठों व पिंडारियों से राज्य को करने हेतु जगतसिंह ने ईस्ट इंडिया कम्पनो से संधि की।


महाराजा रामसिंह द्वितीय (1835-1880 ई.)



  • महाराजा रामसिंह के नाबालिग होने के कारण मेजर जॉन लुडलो ने जयपुर का प्रशासन संभाला। उसने सती प्रथा, दास प्रथ बुरी तरह कन्या वध, दहेज प्रथा आदि पर रोक लगाने के आदेश प्रसारित किए। 1845 ई. में जयपुर में महाराजा कॉलेज की स्थापना हुई।
  • 1870 में लॉर्ड मेयो तथा 1876 ई. में प्रिंस ऑफ वेल्स ‘प्रिंस अल्बर्ट’ ने जयपुर की यात्रा की। प्रिंस अल्बर्ट की यात्रा को स्मृति हम्मीर देव में जयपुर में अल्बर्ट हॉल (म्यूजियम) का शिलान्यास हुआ।
  • महाराजा रामसिंह के काल में जयपुर को गुलाबी रंग प्रदान किया गया एवं जयपुर में रामनिवास बाग बनवाया गया। 


महाराजा मानसिंह द्वितीय 



  • 1922 ई. से स्वतंत्रता प्राप्ति तक जयपुर के शासक रहे। ये जयपुर के अंतिम महाराजा थे। 30 मार्च, 1949 की वृहत् राजस्थान के गठन के बाद इन्हें राज्य का प्रथम राजप्रमुख बनाया गया। इस पद पर इन्होंने 1 नवम्बर, 1956 को राज्यपा खुसरो की नियुक्ति तक कार्य किया।

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