Rajasthan ka Sivana Durg

 सिवाणा दुर्ग – बाड़मेर

इसका निर्माण 954 ई. में परमार शासक वीरनारायण परमार द्वारा (राजा भोज का पुत्र था) करवाया गया था।

यह किला गिरी दुर्ग व वन दुर्ग का उदाहरण है। छप्पन की पहाड़ियों में स्थित है। प्रारम्भ में नाम- कुम्थाना कुम्बाना

अन्य नाम 

जालौर दुर्ग की कुंजी मारवाड़ के राठौड़ शासकों की शरण स्थली। इसे ‘अणखलो सिवाणो’ भी कहा जाता है- स्रोत- राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति कक्षा-10 माध्यमिक शिक्षा बोर्ड

राजस्थान, अजमेर

कूमट दुर्ग- 

कूमट नामक झाड़ी की बहुतायत के कारण इसे ‘कूमट दुर्ग’ भी कहा जाता है।

  • 1538 ई. में राव मालदेव ने इस पर अधिकार कर इसकी सुरक्षा व्यवस्था को दृढ़ किया व परकोटे का निर्माण करवाया।
  • मुगल आधिपत्य में आने के बाद अकबर ने यह किला मालदेव के पुत्र रायमल को दे दिया था।

प्रथम साका

(1308 ई.) अलाउदीन खिलजी का आक्रमण, घेरे का प्रारम्भ 2 जुलाई 1308 ई. से हुआ। यहाँ के शासक वीर सातलदेव / शीतलदेव (कान्हड़देव का भतीजा) और सोमदेव ने वीरगति प्राप्त की। अलाउदीन का सेनापति- कमालूदीन गुर्ग

  • जौहर मीणादे (शीतलदेव की पत्नी) के नेतृत्व में हुआ। में इस युद्ध में अलाउद्दीन ने सातलदेव के सेनापति भावला पंवार को दुर्ग का लालच देकर प्रमुख पेयजल स्रोत भांडेलाव तालाब को गोमांस से दुषित करवा दिया था। विजय के बाद अलाउदीन ने सिवाणा का नाम खैराबाद रखा और कमालूद्दीन को दुर्गरक्षक नियुक्त किया।
  • अमीर खुसरो का कथन- “ये राजपूत गजब के बहादूर उनके सिर के टुकड़े-टुकड़े हो गये फिर भी ये लड़ते रहे” (वीर सातलदेव व सोम के बारे में)
  • अलाउद्दीन खिलजी का कथन- “सिवाणा दुर्ग भयानक जंगल में है इस पहाड़ी पर दुर्ग पर काफीर सातलदेव सिमुर्ग की भांति रहता है और उसके कई हजार काफीर सरदार पहाड़ी गिद्धों की भांति उसकी रक्षा करते हैं।”
  • तारीख-ए-फरिश्ता के लेखक फरिश्ता के अनुसार यह साका 1310 ई. में हुआ था।
  • राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति कक्षा-10 माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर के अनुसार अलाउद्दीन का आक्रमण ने 1310 ई. में सिवाणा किले पर आक्रमण किया था।

दूसरा साका 

1582 ई. मोटाराजा उदयसिह का आक्रमण (कल्ला राठौड़ से नाराज होने पर अकबर के कहने पर उदयसिंह ने आक्रमण किया था)

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