शेरशाह सूरी – सूरी वंश की जानकारी

हमने आपको यहाँ पर सूरी वंश के बारे में जानकारी दी है, आपको यह जानकरी हमने कुछ Points में ही दी है. आप इसे अच्छे से पढ़ सकते है.

इन सभी पोनिट्स को आप अच्छे से आप अगर पढ़ते है तो आप कभी भी इन सब को भूलेंगे नही, और शेरशाह सूरी के बारे में अच्छे से याद कर पायेगे.

शेरशाह सूरी


➤ शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को चौसा के युद्ध (1539 ई. ) तथा कन्नौज के यद्ध (1540ई.)में हराकर 1540-1545 ई. तक भारत पर राज किया। शेरशाह का असली नाम फरीद था। उसे शेर खान की उपाधि वहारखों लोहानी ने दी थी। 


➤ कालिंजर का अभियान, शेरशाह का अन्तिम सैन्य अभियान था इसमें एक गोले के विस्फोट से शेरशाह की मृत्यु हो गई थी (1545 ई.)। 


➤ शेरशाह के काल में मलिक मोहम्मद जायसी ने हिन्दी में ‘पदमावत’ की रचना की थी। शेरशाह का मकबरा सहसाराम (बिहार) में स्थित है।


➤ शेरशाह सूरी ने सिन्धु नदी से बंगाल तक शेरशाह सूरी मार्ग (ग्राण्ड ट्रक रोड) का निर्माण करवाया था।


➤ शेरशाह ने व्यापार यातायात एवं डाक सुविधा की दृष्टि से अनेक सरायों का निर्माण कराया। इनके चारों ओर बाजारों का विकास किया गया।


➤ भूमि को उत्पादकता के आधार पर उत्तम, मध्यम व निकृष्ट श्रेणी में वर्गीकृत किया। उपज का 1/3 भाग, भूमि कर निश्चित किया।


➤ भूमि को नापने में ‘सिकन्दरी-गज’ का प्रयोग किया जाता था। चाँदी का रुपया’ व ताँबे का ‘दाम’ प्रचलित किया। 


➤ यमुना नदी के किनारे पर एक नगर की स्थापना की (वर्तमान समय का पुराना किला)। 


➤ अब्बास खान शेरवानी उसका इतिहासकार था, जिसने ‘तारीख-ए- शेरशाही’ लिखी।

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